2. कपालभाति प्राणायाम-
कपाल यानि माथा या ललाट और भाति यानि तेज, आभा, लावण्य, सौंदर्य, इस प्राणायाम से चेहरे पर तेज यानि आभा आयेगी। नवयौवन प्राप्त होगा। निस्तेज काया सतेज हो जाती है। शरीर सुन्दर एवं सुडौल बनता है। समस्त शारीरिक रोगों का निर्मूलन करने में प्राणायाम का बहुत बड़ा हाथ है। इसीलिए इसे धरती की संजीवनी कहते है। “चेहरे पर लालिमा, बालों में कालिमा, यह है कपालभाति की महिमा।”
सूचना- गर्भवती महिला इस प्राणायाम को न करें। उच्च रक्तदाब वाले व्यक्ति इसे मध्यम गति से करें।
विधि- प्रयत्नपूर्वक नासिका द्वारा सांसों को बाहर छोड़ना तथा साधण गति से धरण करन। सांसों को छोड़ते समय पेट को अंदर की तरफ झटका देना ठीक उसी प्रकार जैसे नासिका साफ करतेसमय देते हैं। अपना ध्यान बाहर निकलती हुई सासों पर केंद्रित करना।
समय- 1 सेकेण्ड में 1 बार सांस को छोड़ना है। 1 मिनट में 60 से 80 बार। इसे 10-15 मिनट तक करना चाहिए। जब थक जाये ंतो बीच में 15-20 सेकेण्ड तक विश्राम कर लेना चहिाए। इस प्राणायाम को अभ्यास लगातार 5 मिनट से 15 मिनट तक किया जा सकता है। संकल्प- मन में विचार करें कि शरीर के समस्त रोग बाहर निकल रहे हैं। शरीर के रोगों के साथ-साथ मन के विकार (काम, क्रोध, लोभ, मोह, माया, ईर्ष्या, घृणा, तिरस्कार, प्रतिषोध इत्यादि) भी सांसों द्वारा बाहर निकल रहे हैं।
लाभ- वनज और पेट कम होता है। मधुमेह, अम्लपित्त (एसीडीटी), कब्ज, अपचन, मूत्रपिंड के रोग, प्रोस्टेट ग्रंथी सम्बन्धी रोग, चर्मरोग, हेपाटाईटिस, ए, बी, और सी, की समस्याएँ, शरीर की गाठें, ओवरीज में सिस्ट यहां तक कि कैंसर की गाठें भी समाप्त हो जाती हैं। टॉक्सीन्स और ऑक्सीडेन्ट इस शरीर से बाहर निकलतें हैं। महिलाओं की बंद टयूब खुल जाती है। मात्त्व प्राप्त होता है।
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