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Wednesday, August 5, 2015

प्राणायाम करते समय मन में संकल्पः

हमेषा मन में यह सोचना कि मैं ईष्वर का पुत्र हूँ/पुत्री हूँ। मेरा प्रभु मुझ में है और मैं प्रभु में हूँ। इससे स्वयं भगवान आपके भीतर उतरेंगे। भगवान के नाम अलग-अलग हैं। परन्तु इन सब की शक्ति एक हैं। उस शक्ति का नाम ही ओम है। वेद वेदांतों में समस्त मंत्रों उत्पत्ति ओम से हुई है। ब्राह्माण्ड की समस्त ऊर्जा ओम से प्रारंभ होकर अंत में ओम में ही समाप्त होती है। ओम कोई प्रतिमा, आकृति या मूर्ति नहीं यह एक तेजोमय, ज्योतिर्मय अदृष्य शक्ति का आवाहन करते हैं, जो संपूर्ण सृष्टी का रचयिता है और पंचतत्वों का नियंत्रण करता है। पंचतत्व अग्नि, वायु, आकाष, पृथ्वी एवंज जो र्ध्म जाति-पाति संप्रदाय मत पंथ सबसे परे है और चर-अचरएवं अगोचर जीव जंतु के लिये सम प्रमाण में उपलब्ध है। आओ ऐसी दिव्य शक्ति ओंकार का आवाहान करते हैं।

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